*एन.ओ.सी समय पर नहीं देने के कारण फाइनेंस कंपनी पर लगाया हर्जाना।* (राजगढ़) जिला उपभोक्ता विवाद एवं प्रतितोषण फोरम राजगढ़ में पदस्...
*एन.ओ.सी समय पर नहीं देने के कारण फाइनेंस कंपनी पर लगाया हर्जाना।*
(राजगढ़) जिला उपभोक्ता विवाद एवं प्रतितोषण फोरम राजगढ़ में पदस्थ न्यायाधीश महेश कुमार बदकारिया एवं सदस्य श्रीमती राजेश्वरी ओझा और सदस्य श्रीमती सीमा सक्सेना द्वारा चोला मण्डलम फाइनेंस कंपनी को आवेदक उपभोक्ता के प्रति सेवा में कमी किये जाने का दोषी पाया जाकर आवेदक मोहम्मद हारून खान पिता श्री ईस्माइल खान निवासी खिलचीपुर जिला राजगढ़ के पक्ष में निर्णय पारित किया गया है। न्यायालय द्वारा अपने निर्णय में चोला मण्डलम फाइनेंस कंपनी को आदेशित किया है कि वह आवेदक उपभोक्ता को आदेश दिनाँक से 2 माह की अवधि में 5000 रुपये क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान करे साथ ही आवेदक का प्रकरण में हुआ खर्च भी आवेदक को अदा करे।
मामले की जानकारी देते हुए उपभोक्ता की और से मामले में पैरवी कर रहे अधिवक्ता जे.पी.शर्मा ने बताया कि आवेदक द्वारा अपने परिवार के भरण पोषण के लिए एक लोडिंग वाहन अशोक लीलेण्ड क्र. MP04 जीबी 0591 क्रय किया था जिसे अनावेदक चोलामंडलम फाइनेंस कंपनी से फाईनेंस करवाया था। आवेदक द्वारा फाइनेंस कंपनी को फाइनेंस की सम्पूर्ण राशि मय ब्याज के जमा कर दी थी इस प्रकार फाइनेंस कंपनी का आवेदक से कोई बकाया राशि लेना शेष नहीं थी।
फाइनेंस कंपनी द्वारा आवेदक से वाहन की सम्पूर्ण फाइनेंस राशि प्राप्त करने के पश्चात नियमानुसार आवेदक को वाहन की एनओसी भी तत्काल जारी करना थी, किन्तु फाइनेंस कंपनी द्वारा आवेदक को एनओसी न दी जाकर परेशान किया गया और अपने कार्यालय के बार बार चक्कर लगवाये और लगभग एक वर्ष में एनओसी दी।
एनओसी के अभाव में आवेदक अपने वाहन को विक्रय नहीं कर सका। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण आवेदक का वाहन नहीं चलने से उसके समक्ष अत्यधिक आर्थिक संकट खड़ा हो गया था इस कारण लोगों का कर्ज चुकाने हेतु आवेदक अपने वाहन को विक्रय करना चाहता था। अनावेदक फाइनेन्स कंपनी द्वारा एनओसी समय पर न दी जाने के कारण आवेदक उसके वाहन को विक्रय नहीं कर सका।
परेशान उपभोक्ता नें कानून की शरण ली और उपभोक्ता फोरम के समक्ष सेवा में कमी के लिए फाइनेंस कंपनी के विरुद्ध अपने अभिभाषक के माध्यम से परिवाद दायर किया।
माननीय न्यायालय द्वारा प्रकरण में आवेदक द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों और अधिवक्ताओं के तर्क सुनने के पश्चात फाइनेंस कंपनी को सेवा में कमी का दोषी पाया जाकर आवेदक के पक्ष में निर्णय पारित किया गया है।
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